Childhood बाल्यावस्था का आरम्भ
बाल्यावस्था का आरम्भ शैशवावस्था के समाप्त होते ही हो जाता है। मानसिक विकास की दूसरी अवस्था ही बाल्यावस्था है। बाल्यावस्था में बच्चो का को सम्पूर्ण और मन दोनों ही अव्यवस्थित दशा में होते हैं। बाल्यावस्था को सम्पूर्ण गहराई से जानने के लिए हमें बच्चों के मानसिक और सामाजिक विकास के बारे में विचार करना आवश्यक हैं।
सामन्य रूप से ६ वर्ष से १२ वर्ष के मध्य की आयु को बाल्यावस्था कहा जाता हैं। इस अवस्था में बच्चों के अंदर अनेक-से परिवर्तन होते हैं। और इसी काल को शिक्षा आरम्भ करने का सबसे उपुक्त काल माना गया हैं। बाल्यावस्था को Smart Age भी कहा जाता हैं। क्योकि इस समय बच्चों में स्फूर्ति अधिक देखने को मिलती हैं। इस अवस्था में पहुँचते ही बच्चा आपने आस-पास की परिस्थितियों से परिचित होने लगता हैं और उसे अपनाने की कोशिश करता हैं। ऐसे समय में ही बच्चो की मानसिक योग्यताओ में वर्द्धि होती रहती हैं। तथा वस्तुओ के प्रति रूचि बढ़ने लगती हैं। इस अवस्था में बच्चों को शैशवावस्था की भाति ज्यादा शारीरिक परिश्रम करना पड़ता हैं। जैसे नहाना , कपडे पहनना और स्कुल जाने की तैयारी आदि स्वयं क्र लेता हैं। आगे चलकर बालकों को बाग़ में खेलने , कागज की नाव बनाने और बालिकाओं को गुड़िया- गुड्डे का खेल, सिलाई बुनाई , कपडे के टुकड़े , आदि इकठ्ठा करने में विशेष आनंद प्राप्त होता हैं। और वह अपना ज्यादा समय इन्ही सब खेलों को खेलने में बीतता हैं.
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